चटखदार केसरी-पीला रंग लाल रंग से भी अधिक स्पष्ट होता है. इसलिए लाइफ जैकेट से लेकर बचावकर्मियों की जैकेट का रंग चटखदार केसरी होता है. इसके अलावा दुर्गम स्थलों पर फंसे शोधकर्ताओं के द्वारा अपने स्थान की जानकारी देने के लिए पिस्तोल से जो रोशनी छोड़ी जाती है वह भी चटख केसरी होती है, लाल नहींइसकी मुख्यत: दो वजहें हो सकती है. पहली वजह यह है कि लाल रंग की तरंगों की लम्बाई अधिक होती है. यानी कि आप लाल रंग को काफी दूर से देख पाते हैं. इस वजह से तेज गति से आते वाहनों को रूकने का संकेत दे पाना सरल हो जाता है. दूसरी वजह है ब्रिटिश अधिकारियों की यह सोच कि चुँकि रक्त का रंग भी लाल होता है और यह रंग भड़काने वाला होता है, इसलिए चेतावनी देने के लिए इस रंग का उपयोग किया जाना चाहिए.
बात 19वीं सदी की है. 1886 में ब्रिटिश संसद नें गाडियों को रूकने का संकेत देने के लिए लाल रंग का इस्तेमाल करने का विधेयक पारित किया था. इसके बाद रेलगाडियों को रूकने का संकेत देने के लिए भी लाल रंग का इस्तेमाल करना शुरू किया गया. हालाँकि इसके पहले भी इस रंग का इस्तेमाल होता है. वर्षों पहले जब जहाजों में ईंधन तथा विस्फोटक सामग्री भरी जाती तो जहाज के कर्मचारी जहाज के सबसे ऊपर वाले भाग पर चढ कर लाल पताका फहराते थे ताकी बाकी जहाज दूर रहें. तब से लाल रंग को चेतावनी स्वरूप रंग के रूप में मान्यता मिल गई.
एक रोचक तथ्य यह भी है कि ट्राफिक सिग्नल में लाल रंग सबसे ऊपर होता है परंतु रेलगाड़ी के सिग्नल में सबसे नीचे होता है. ऐसा इसलिए ताकी रेलगाड़ी के इंजन के ड्राइवर को लाल रंग आसानी से और काफी दूर से भी दिखाई दे जाए.
और अंत में क्या चेतावनी देने के लिए हर जगह लाल रंग का ही इस्तेमाल होता है? यह सच नहीं है.
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